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Home » बड़ा घोटाला: प्रायमरी और मिडिल स्कूलों पर खर्च होने थे करीब 100 करोड़, फर्जी बिल बाउचर से बीआरसीसी, हेडमास्टर से हजम कर लिए…
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बड़ा घोटाला: प्रायमरी और मिडिल स्कूलों पर खर्च होने थे करीब 100 करोड़, फर्जी बिल बाउचर से बीआरसीसी, हेडमास्टर से हजम कर लिए…

Vindhya VaniBy Vindhya VaniMay 4, 2022No Comments4 Mins Read
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रीवा। डीईओ कार्यालय का अनुदान घोटाला अभी भूला नहीं था कि प्रायमरी और मिडिल स्कूल के घोटाले की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। यहां स्कूलों को मिले करीब 100 करोड़ से अधिक की राशि पर हेडमास्टर और बीआरसीसी ने मिलकर हाथ साफ कर दिया। स्कूलों पर राशि खर्च नहीं हुई और वित्तीय वर्ष में बजट लैप्स होने का डर दिखाकर फर्जी बिल बाउचर से करोड़ों रुपए का बंदरबांट हो गया। स्कूलों और छात्रों पर राशि खर्च तक नहीं हुई। मिली जानकारी के अनुसार राज्य शिक्षा केन्द्र प्रायमरी और मिडिल स्कूलों को छात्र संख्या के हिसाब से हर साल व्यवस्थाओं के लिए 5 हजार से 1 लाख रुपए तक  की राशि वितरित करता है। पहले यह राशि एसएमसी के खाते में जाती थी। अब यह राशि बीआसीसी के खाते में भेजी गई। बीआसीसी ने इस राशि का बंदरबांट कर डाला। वित्तीय वर्ष 2021-22 मार्च में खत्म होने वाला था। इसके पहले यह राशि लैप्स हो जाती। बीआरसीसी ने हेडमास्टरों से फर्जी बिल बाउचर लेकर राशि का बंदरबांट कर डाला। हद तो यह है कि रीवा के करीब 70 फीसदी हेडमास्टरों को राशि बीआरसीसी के खाते में आने तक की जानकारी नहीं थी। बीआसीसी फर्जी बिल बाउचर से ही सारी राशि आहरित करते गए। रीवा में यह घोटाला करीब 100 करोड़ से भी अधिक का माना जा रहा है।  स्कूल शिक्षा विभाग से जुड़े सूत्रों की मानें तो स्कूलों को एक रुपए की सामग्री नहीं मिली लेकिन लाखों रुपए का बिल पास करा लिया गया। मामले की यदि जांच हो तो सारा सच सामने आ जाएगा।
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कुछ इसतरह आई थी राशि
छात्र संख्या    मिडिल        प्रायमरी
0 से 10 तक        5 हजार        7 हजार
11 से 40 तक    20 हजार        25 हजार
41 से 80 तक    40 हजार        50 हजार
80 से ऊपर    80 हजार     1 लाख रुपए
———–
पहले यह थी व्यवस्था
पहले राज्य शिक्षा केन्द्र एसएमसी के खाते में राशि भेजता था। हेडमास्टर और अध्यक्ष का ज्वाइंट खाता होता था। दोनों के संयुक्त हस्ताक्षर से ही राशि आहरित की जाती थी। अब सिस्टम बदल कर बीआरसीसी के खाते में राशि भेजी जाने लगी। बीआरसीसी ने समान न खरीदकर फर्जी बिल बाउचर से राशि का आहरण कर लिया गया।
———–
रीवा में करीब 5 हजार प्रायमरी और मिडिल स्कूले हैं
जिला में प्रायमरी और मिडिल स्कूलों की संख्या अधिक है। इन सभी स्कूलों में चाक, डस्टर सहित स्कूलों की पुताई, साफ सफाई की व्यवस्था के लिए राशि जारी की गई थी। यह राशि करोड़ों रुपए में थी। राशि का हेडमास्टरों को पता तक नहीं था। एसएमसी एकाउंट बंद होने से हेडमास्टरों को बीआरसीसी के पास राशि होने की भनक तक नहीं थी। जिन्हें जानकारी थी, उन्होंने कमीशन लेकर बिल बाउचर लगा दिया और राशि आहरित करा ली। जिन्हें जानकारी नहीं थी उनके नाम से फर्जी बिल बाउचर बनाकर व्यवस्था के नाम से आई राशि का आहरण कर लिया गया।
——
स्कूलों में कुछ नहीं हुआ काम
राशि आहरण और फर्जीवाड़े का अंदाजा स्कूलों की हालत देखकर ही लगाया जा सकता है। लॉकडाउन के कारण स्कूलों का संचालन नहीं हुआ। ऐसे में इन स्कूलों को जो राशि दी गई, उसका उपयोग साफ सफाई और पुताई पर किया जा सकता था। पढ़ाई के नाम पर कक्षाओं का संचालन तक नहीं हुआ। ऐसे चाकडस्टर और कार्यालयीन कार्यों के लिए चीजों की जरूरत और खरीदी का प्रश्न ही नहीं उठता। ऐसे में स्कूलों की हालत देखकर फर्जीवाड़े का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। इतना ही नहीं यदि खरीदी सामग्री और बिल बाउचर का मिलान किया जाए तो भी इसका खुलासा संभव है।
———–.
सब की मिली भगत है शामिल
इस फर्जीवाड़े में सिर्फ बीआरसीसी और हेडमास्टर को ही दोषी नहीं ठहराया जा सकता। इस फर्जीवाड़े में ऊपर से लेकर नीचे तक के अधिकारी, कर्मचारी शामिल हैं। यही वजह है कि मार्च महीने में अंतिम समय पर हेडमास्टरों पर बिल लगाने का दबाव बनाया गया था। हेडमास्टरों को कार्रवाई तक किए जाने का डर दिखाया गया था। कार्रवाई के डर से हेडमास्टरों ने फर्जी बिल बाउचर बीआरसीसी को उपलब्ध कराया था। कईयों ने सिर्फ हस्ताक्षर कर स्वीकृति दी थी, शेष कार्य ऊपर के अधिकारियों, कर्मचारियों ने किया था।
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