REWA NEWS: Vice Chancellor Dr. Rajendra Kudaria's big step to empower the tribal society
विंध्य वाणी,रीवा। जनजातीय समाज को केवल लाभार्थी नहीं, बल्कि विकसित भारत 2047 के निर्माता के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय कुलगुरु डॉ.राजेन्द्र कुड़रिया द्वारा करते हुए जनजातीय कल्याण केंद्र डिंडोरी के साथ एपीएसयू के मध्य एक अत्यंत महत्वपूर्ण समझौता (एमओयू) हुआ है। यह समझौता शिक्षा, स्वास्थ्य, संस्कृति, जनकल्याण, वैचारिक जागरूकता और आत्मनिर्भरता जैसे छह परिवर्तनकारी स्तंभों पर आधारित है, बीते दिनों हुए इस एमओयू के बाद अब विवि छात्रों को जनजातीय कल्याण केन्द्र डिंडोरी में शैक्षणिक भ्रमण के लिए भेजा जाएगा। जिसमें वह यहां के छात्रों के बीच रहकर विकास की नई संभावनाओं पर शोध करेंगे।
विवि प्रबंधन का मानना है कि यह समझौता केवल औपचारिक अनुबंध नहीं, बल्कि सांस्कृतिक राष्ट्रवाद, संवैधानिक मूल्यों और आत्मनिर्भर भारत की त्रयी का जीवंत और क्रांतिकारी स्वरूप है। इसमें संयुक्त अनुसंधान परियोजनाएँ, पाठ्यक्रम विकास, जनजातीय उद्यमिता मॉडल, तकनीकी साझेदारी और वैश्विक स्तर पर जनजातीय पहचान के ब्रांडिंग की ठोस कार्ययोजनाएँ सम्मिलित हैं। साथ ही नीति सुझाव, संवैधानिक अधिकारों पर जागरूकता और जल-जंगल-जमीन शिक्षा और रोजगार से संबंधित योजनाओं पर संवाद के माध्यम से जनजातीय समाज को वैचारिक रूप से सशक्त किया जाएगा। यह समझौता युवाओं को नौकरी मांगने वाले नहीं, रोजगार देने वाले उद्यमी के रूप में विकसित करने का आत्मविश्वास प्रदान करेगा।
8-8 की टीम छात्रों के बीच जाएगी
बता दें कि एमओयू के बाद यहां एपीएसयू द्वारा स्वास्थ्य शिविर सहित अन्य आयोजन किए जांएंगे। विवि से वॉयोटेक्रालॉजी के छात्र यहां सिकल सेल एनीमिया सहित अन्य बीमारियों के लिए जांच करेंगे व नए शोध भी करेंगे। जनजातीय कल्याण केन्द्र के छात्रों के बीच रहकर उनकी समस्या, यहां रोजगार की संभावनाए सहित अन्य विषयों पर काम करेंगे। बताया गया कि विवि के छात्र यहां 8-8 छात्रों की टीम बनाकर जाएंगे। छात्रों के लिए यह पूरी तरह से निशुल्क रहेगा, जिसका खर्च विवि वहन करेगा। इसके साथ ही अन्य जागरूकता अभियान विवि द्वारा यहां चलाएं जाएंगे।
विवि ने तैयार की है योजना
अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय कुलगुरु डॉ.राजेन्द्र कुड़रिया का मानना है कि जनजातीय क्षेत्रों में बेसलाइन और आवश्यकताएं मूल्यांकन सर्वेक्षण, आयुष मंत्रालय के सहयोग से स्वास्थ्य मॉडल का विकास और जनजातीय ज्ञान-संसाधन पुस्तकालयों एवं संग्रहालयों की स्थापना की जाएगी। बताया गया कि यहां कुपोषण, मातृ मृत्यु दर, सिकलसेल, थैलेसीमिया जैसी गंभीर स्वास्थ्य चुनौतियों पर विशेष ध्यान देते हुए (स्वस्थ जनजाति समाज समर्थ भारत) की अवधारणा को साकार किया जाएगा। इसके साथ ही लोककला, लोकगीत, चित्रकला, पारंपरिक हस्तशिल्प और मौखिक परंपराओं को डिजिटल आर्काइव, संग्रहालयों और अंतरराष्ट्रीय आयोजनों के माध्यम से वैश्विक मंच पर स्थापित करना इस एमओयू का मुख्य उद्देश्य है।
स्थानीय रोजगार को भी देंगे बढ़ावा
अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय कुलगुरु डॉ.राजेन्द्र कुड़रिया का मानना है कि स्थानीय स्तर पर होने वाले व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए भी योजना तैयार की है। बांस उत्पाद सहित सुपाड़ी व अन्य स्थानीय उत्पादों को मंच देने का कार्य विवि द्वारा किया जाना है। बताया गया कि इन उत्पादों का प्रशिक्षण कार्यक्रम छात्रों के बीच आयोजित किया जाएगा व उनके द्वारा बनाए गए उत्पादों को दिल्ली स्तर पर बड़ा मंच देकर उनकी ब्रांडिंग विवि द्वारा की जाएगी। जिससे स्थानीय स्तर पर चल रहे इन छोटे व्यवसायों को बड़ा मंच मिलेगा और नई पहचान मिल सकेगी।
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एपीएसयू और जनजातीय कल्याण केन्द्र डिंडोरी के बीच एमओयू हुआ है। कोई भी जनजातीय युवा पीछे न रहे, यह समझौता हर क्षेत्र में उनकी सक्रिय और गरिमामयी भागीदारी सुनिश्चित करेगा। यह समझौता वनोपज आधारित व्यावसायिक प्रशिक्षण, संयुक्त प्रमाणपत्र आधारित कौशल विकास, जनजातीय नवाचार केंद्रों की स्थापना और स्थानीय संसाधनों व पारंपरिक जीवनशैली से जुड़े उद्यमिता कार्यक्रमों को गति प्रदान करेगा।
डॉ.राजेन्द्र कुड़रिया, कुलगुरु एपीएसयू रीवा।
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