रीवा। जिले के सरकारी व अनुदान प्राप्त महाविद्यालयों को मिलाकर 15 संस्थाओं को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने सहायता राशि दी थी। इसमें से 12 महाविद्यालयों ने करीब 1 करोड़ रूपये खर्च का ब्यौरा नहीं दिया है, जिसका हिसाब ढूंढने की कवायद अब यूजीसी ने शुरू की है। इस बाबत यूजीसी ने उच्च शिक्षा विभाग को पत्र लिखा, जिसके चलते विभाग ने संबंधित महाविद्यालय प्राचार्यों को पत्र जारी किया है। पत्र के अनुसार संबंधी महाविद्यालयों ने पूर्ण राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र व अन्य अभिलेख यूजीसी को नहीं उपलब्ध कराये हैं। लिहाजा पत्र में तत्काल राशि का समायोजन करने के निर्देश प्राचार्यों को दिए हैं। वहीं, जिन महाविद्यालयों ने राशि खर्च कर ली है, उनसे उपयोगिता प्रमाण पत्र मांगा गया है। राशि के सदुपयोग संबंधी अन्य दस्तावेज प्राचार्यों से चाहे गए हैं। जानकारी प्राप्त करने हेतु विभाग द्वारा शुक्रवार से प्रतिदिन 11 बजे ऑनलाइन गूगल मीट के जरिये प्राचार्यों से चर्चा की जायेगी, ताकि शीघ्र प्रकरण का निराकरण हो सके।
शैक्षणिक संसाधन व खेल सामग्री के लिए मिली राशि
गौरतलब है कि यूजीसी की 11वीं पंचवर्षीय योजना की अवधि वर्ष 2007 से 2012 तक रहीं। इसी तरह 12वीं पंचवर्षीय योजना 2012 से 2017 तक क्रियान्वित हुई। इस अवधि में जिले के 15 महाविद्यालयों को शैक्षणिक गुणवत्ता, रेमेडियल क्लास, खेल व अन्य संसाधनों में विकास हेतु अनुदान राशि यूजीसी द्वारा दी गई। उक्त राशि का सदुपयोग होने के बाद उपयोगिता प्रमाण पत्र महाविद्यालयों से मांगा गया, जो अभी तक जिले के अधिकांश महविद्यालयों से यूजीसी को नहीं मिला।
3 महाविद्यालयों ने किया पूरा खर्च
विभाग द्वारा जारी पत्र के अनुसार 12वीं पंचवर्षीय योजना के तहत मॉडल साइंस महाविद्यालय को 3 लाख और मनिकवार महाविद्यालय को 12 लाख 70 हजार रूपये मिले। इसी प्रकार 11वीं पंचवर्षीय योजना से सिरमौर महाविद्यालय को 20 लाख 57 हजार 400 रूपये आवंटित हुए। इन महाविद्यालयों ने राशि खर्च कर ली है। अब इन महाविद्यालयों से भी कुछ दस्तावेज यूजीसी व विभाग द्वारा मांगे गए हैं।
जिन्हें मिली एनओसी, उनका भी नाम सूची में
जानकारी के अनुसार विधि महाविद्यालय को इस मामले में एनओसी जारी हो चुकी है। इसके बावजूद बकायादारों की सूची में विधि महाविद्यालय का नाम दर्ज है। तत्कालीन लापरवाह प्राचार्यों की वजह से यही स्थिति कुछ अन्य महाविद्यालयों में भी हो सकती हैं। वहीं, जिन महाविद्यालयों में गड़बड़झाला है, वहां के जिम्मेदार जरूर फिलहाल पशोपेश में है। अब विभाग द्वारा प्रतिदिन होने वाले ऑनलाइन मीटिंग में जल्दी ही सब स्पष्ट हो जायेगा।
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