Waste from several states lands in Rewa! Ramky Company is doing this…
विंध्य वाणी,रीवा। जिला प्रशासन के आदेशों के बाद भी अनुबंध के विपरीत अन्य प्रदेशों से लगातार अवैध रूप से कचरा लाने को लेकर पहाडिय़ा स्थित रैमकी कंपनी द्वारा संचालित रीवा एमएसडब्ल्यू कचरा प्लांट सवालों के घेरे में है। रैमकी कंपनी रीवा को कई राज्यों के कचरे का हब बनाने पर तुली हुई है। स्थानीय ग्रामीणों के लगातार विरोध, प्रशासनिक रोक, जनप्रतिनिधियों के हस्तक्षेप के बावजूद बनारस व प्रयागराज सहित कई राज्यों से अवैध कचरा (आरडीएफ) आने का सिलसिला नहीं रुक रहा है। शासन, प्रशासन, कलेक्टर से लेकर कमिश्नर और महापौर तक सभी ने बाहरी कचरे पर रोक के आदेश जारी किए, लेकिन इसका कोई असर नहीं दिख रहा है। प्रतिदिन बिना नंबर की दर्जनों गाडिय़ां आरडीएफ बाहर से आ रहा है। गांव वालों का आरोप है कि रोक के आदेश सिर्फ कागज़ों में सीमित हैं, जबकि यूपी से रोज़ाना बिना नंबर प्लेट और बिना वैध दस्तावेजों के ट्रकों में कचरा लाया जा रहा है। ग्रामीणों ने कई बार पुलिस को सूचना दी, परंतु न तो कोई कार्रवाई हुई न ही वाहनों की जांच की गई। ग्रामीण इसे कानून का खुला उल्लंघन और प्रशासनिक संरक्षण बताते हैं।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि स्थानीय ग्रामीणों ने इस मुद्दे पर दो महीने से निरंतर अभियान चला रखा है। लेकिन उच्च जिम्मेदार अधिकारियों ने इनका संज्ञान लेना भी जरूरी नहीं समझा। इससे ग्रामीणों के बीच यह धारणा मजबूत हो रही है कि पैसा और दबाव प्रशासन पर भारी पड़ रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि अवैध कचरा परिवहन और प्लांट संचालन में कुछ बड़े प्रशासनिक अधिकारियों और शासन से जुड़े लोग संरक्षण दे रहे हैं, जिससे कोई कार्रवाई नहीं होती। स्थानीय स्तर पर पुलिस, नगर निगम और संबंधित विभागों की निष्क्रियता भी सवाल खड़े कर रही है। ग्रामीणों न ेमांग की है कि रैमकी की रीवा एमएसडब्ल्यू कंपनी के खिलाफ संपूर्ण जांच मुख्यमंत्री और केंद्र सरकार की एजेंसियों से कराई जाए।
नेता प्रतिपक्ष का एक्शन और नगर निगम का एग्रीमेंट भी बेकार
सामाजिक कार्यकर्ता अभिेषेक तिवारी ने बताया कि विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने भी मामले को गंभीर बताते हुए कार्रवाई की मांग की थी। नगर निगम और रीवा एमएसडब्ल्यू के बीच हुए एग्रीमेंट में सिर्फ रीवा कलस्टर के 28 यूएलवी का कचरा लाने की अनुमति है। इसमे बाहरी कचरे पर रोक, पर्यावरण मानकों के पालन और पारदर्शिता की शर्तें शामिल हैं, लेकिन यह सब कागजों में ही सिमट कर रह गया है।
धमकी से गांव में दहशत का माहौल
ग्रामवासियों ने आरोप लगाया कि प्लांट से जुड़े लोगों ने डराने-धमकाने के लिए अपराधियों को गांव भेजा, जहां गोली चलाने और गांव में आग लगाने तक की धमकी दी गई। आश्चर्य ये कि ग्रामीणों की शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। यह भी आरोप है कि बिना लाइसेंस वाले यूट्यूब चैनलों को पैसों का भुगतान कर गांव वालों व सामाजिक कार्यकर्ताओं की रिकॉर्डिंग कराई जा रही है, ताकि उन्हें दबाव में लाया जा सके। ग्रामवासी इसे ब्लैकमेलिंग और तानाशाही बताते हैं। उनका कहना है कि जब स्थानीय प्रशासन और पुलिस निष्क्रिय है, तब निष्पक्ष कार्रवाई केवल उच्चस्तरीय जांच से ही संभव है।




