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Home » पूर्व सांसद डॉ. राम विलास वेदांती का परलोक गमन, देश भर छाई शोक की लहर…
उत्तर प्रदेश

पूर्व सांसद डॉ. राम विलास वेदांती का परलोक गमन, देश भर छाई शोक की लहर…

Vindhya VaniBy Vindhya VaniDecember 16, 2025No Comments7 Mins Read
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Former MP Dr. Ram Vilas Vedanti passes away, nationwide mourning erupts

 

रीवा। अयोध्या में राम मंदिर आंदोलन के दौरान मुख्य भूमिका निभाने वाले वरिष्ठ भाजपा नेता पूर्व सांसद डॉ. रामविलास वेदांती महाराज सोमवार को स्वर्ग सिधार गये। उन्होंने सफला एकादशी को सुपर स्पेशलियटी अस्पताल में उपचार के दौरान अंतिम सांसे ली। उनके परलोक गमन से रीवा सहित समूचे देश में शोक की लहर छा गई है। डॉ. रामविलास वेदांती अपने पैतृक जिले रीवा में लालगांव के पास भठवा गांव में कथा सुना रहे थे। कथा 17 दिसंबर तक चलनी थी। शनिवार को उन्होंने कथावाचन के बाद आरती कराई और भोजन करने के बाद आराम कर रहे थे तभी रात में सीने में दर्द और घबराहट की वजह से उन्हें उपचार के लिए रीवा लाया गया।

 

 

 

 

रविवार को उपमुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल उनका स्वास्थ्य जानने अस्पताल देखने गये और उनको उपचार के लिए एयर एंबुलेंस से भोपाल भेजने की व्यवस्था की। लेकिन घने कोहरे के कारण उसके भोपाल एयरपोर्ट पर लैंड नहीं हो पाने के कारण वापस लाकर रीवा के ही अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉ. रामविलास दास वेदांती का जीवन राम मंदिर आंदोलन और हिंदुत्व की विचारधारा को समर्पित रहा। उनके निधन से न केवल अयोध्या, बल्कि पूरे देश ने एक प्रभावशाली संत नेता और आंदोलनकारी को खो दिया है। उनके योगदान को सदैव स्मरण किया जाता रहेगा। डॉ. रामविलास दास वेदांती मूल रूप से रीवा जिले के गुढ़वा गांव के रहने वाले थे। उनका जन्म 7 अक्टूबर 1958 को हुआ था। और 2 साल की उम्र में ही उनकी माता जी का देहांत हो गया था। पिता राम सुमन त्रिपाठी के साथ मात्र 12 साल की उम्र में डॉ. रामविलास दास वेदांती रामनगरिया अयोध्या पहुंचे थे, जहां वह हनुमानगढ़ी में बाबा अभिराम दास के शिष्य बने थे। उसके बाद अयोध्या में ही भगवान की सेवा में लीन रहा करते थे।

 

 

 

 

डॉ. रामविलास दास वेदांती का पार्थिव शरीर लोगों के अंतिम दर्शनों के लिए उनके पैतृक गांव गुढ़वा ले जाया गया। इसके बाद उनकी पार्थिव देह को वायुयान के माध्यम से अयोध्या ले जाया है, जहां मंगलवार को सरयू नदी के तट पर अंतिम संस्कार किया जाएगा। डॉ. रामविलास दास वेदांती एक प्रमुख हिंदू धार्मिक नेता रहे और 12वीं लोकसभा के सदस्य के रूप में संसद तक पहुंचे। उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ लोकसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर सांसद चुने गए डॉ. वेदांती न केवल राम मंदिर आंदोलन के सशक्त स्वर थे, बल्कि श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट के सदस्य भी रहे।

 

 

 

 

 

डॉ. वेदांती भी राम मंदिर निर्माण के लिए आजीवन संघर्षरत रहे। उन्होंने 1983-84 में गोरक्षा पीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ व महंत परमहंस रामचंद्र दास के साथ कंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष को आगे बढ़ाया। 1996-98 तक मछली शहर जौनपुर के सांसद रहे। दोबारा 1998-99 में प्रतापगढ़ सदर से सांसद निर्वाचित हुए. इसके बाद 2004 में अमेठी लोकसभा से भी भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन कांग्रेस नेता राहुल गांधी से चुनाव हार गये।

 

 

 

 

कार्यसेवकों को किया था संबोधित
1990 में जब अयोध्या का राम मंदिर आंदोलन पूरे देश में अपने चरम पर था और देशभर के साधु-संत आंदोलन में शामिल हुए थे, उसमें प्रमुख चेहरा डॉ. रामविलास दास वेदांती का भी माना जाता है। यह भी कहा जाता है कि जब 1992 में विवादित ढांचे को गिराने के लिए सेवक इक_ा हुए थे, उस दौरान राम जन्मभूमि में बनाए गए कार्य सेवकों की ओर से मंच पर स्वयं डॉ. रामविलास दास वेदांती कार्य सेवकों को संबोधित कर रहे थे। 6 दिसंबर 1992 में विवादित ढांचे के ध्वंस में डॉ. वेदांती का भी नाम शामिल था, लेकिन सीबीआई की अदालत में मुकदमा निरस्त हो गया। 90 के दशक में राम मंदिर आंदोलन में शामिल प्रमुख लोगों में डॉ. रामविलास दास वेदांती का नाम शामिल रहता था और आए दिन राम मंदिर आंदोलन को धार देने में कोई कसर डॉ. रामविलास दास वेदांती नहीं छोड़ते थे। हिंदूवादी नेता और फायर ब्रांड नेता के रूप में भी डॉ. रामविलास दास वेदांती का एक अलग पहचान था।

 

 

महंत रामविलास वेदांती का साकेतवास, सनातन जगत को अपूर्णीय क्षति
शिष्यों, अनुयायियों सहित विंध्य में शोक की लहर
रीवा। श्री राम जन्मभूमि आंदोलन के प्रमुख स्तंभ, पूर्व सांसद एवं अयोध्या धाम स्थित वशिष्ठ आश्रम के महंत, पूज्य पाद रामविलास वेदांती का सोमवार को सफला एकादशी के पावन अवसर पर साकेतवास हो गया। उनके महाप्रयाण से मानसपीठ खजुरीताल सहित सम्पूर्ण आध्यात्मिक जगत और सनातन संस्कृति को गहरी क्षति पहुँची है। पूज्य महाराज श्री ने जीवन पर्यंत प्रभु श्री राम की निष्काम सेवा की। वे मानसपीठ खजुरीताल के संरक्षक के रूप में एक सुदृढ़ आधार एक छत के समान थे, जिनके स्नेह, मार्गदर्शन और संरक्षण में मानसपीठ परिवार निरंतर आगे बढ़ता रहा। खजुरीताल के प्रति उनका समर्पण अद्वितीय था और उनके प्रति श्रद्धालुओं का प्रेम अपार। श्री राम जन्मभूमि आंदोलन में उनकी ऐतिहासिक भूमिका, समाज और राष्ट्र के प्रति उनका त्यागमय योगदान तथा आध्यात्मिक जीवन में उनका अनुकरणीय आचरण सदैव स्मरणीय रहेगा। धर्म, समाज और राष्ट्र सेवा को समर्पित उनका जीवन आने वाली पीढिय़ों के लिए प्रेरणा स्रोत बना रहेगा। इस दु:खद अवसर पर समस्त मानसपीठ परिवार ने अश्रुपूरित नेत्रों से पूज्य महाराज श्री को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रभु श्री सीता-राम से प्रार्थना की गई कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान प्रदान करें तथा शोकाकुल शिष्यों, अनुयायियों और परिवारजनों को इस अथाह दु:ख को सहन करने की शक्ति दें। पूरे विंध्य क्षेत्र में शोक की लहर है। श्रद्धालु, संत-महात्मा और अनुयायी पूज्य महाराज श्री के महाप्रयाण को एक युग का अवसान बता रहे हैं।

 

 

 

चिर स्मरणीय रहेंगे पूज्य सन्त डा. राम विलास वेदान्ती: सुभाष बाबू
मानस भवन में शोक सभा आज

रीवा। आध्यात्म और राजनीति मैं समन्वय के साथ सनातन के ध्वजवाहक रहे राष्ट्रीय संत डॉ. रामविलास वेदांती के गोलोक गमन पर शोक व्यक्त करते हुए मानस मंडल के अध्यक्ष सुभाष बाबू पांडे ने कहा कि विंध्य की माटी के सपूत, जिन्होंने वशिष्ठ आश्रम अयोध्या में रहते हुए अपने तप और त्याग के माध्यम से समाज को सनातन धर्म के माध्यम से राष्ट्र की सेवा के लिए प्रेरित करने का काम किया, राम जन्मभूमि आंदोलन में प्रमुख स्तंभ के रूप में अपनी भूमिका निर्वहन के साथ निर्भीकता पूर्वक न्यायालय में राम जन्मभूमि के पक्ष में साक्षी के रूप मे प्रस्तुत रहे एवं समग्र राष्ट्र की चेतना जगाने में अग्रसर रहे। ऐसी महान विभूति के गोलोक गमन से विंध्य क्षेत्र ही नहीं पूरे राष्ट्र एवं आध्यात्मिक जगत की अपूर्णीय क्षति हुई है। वह श्री राम कथा कै अद्वितीय वक्ता तथा रामभक्तों के आदर्श थे। मानस भवन की स्थापना उपरान्त दो बार उनकी कथा आयोजन का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। इस अवसर पर विंध्य की माटी के लाल को नमन करते हुए हम सब विंध्यवासी उनके विराट व्यक्तित्व को नमन करते हैं। उनके विचार समाज में सदैव अपने प्रखर प्रकाश से चेतना जागृत करते रहेंगे, उनके द्वारा किए गए त्याग और तप की शक्ति से आने वाली पीढिय़ां सदा ही प्रेरणा प्राप्त करती रहेंगी, ईश्वर उन्हें परमपद प्रदान करें। मानस मंडल के अध्यक्ष सुभाष बाबू पांडे ने उक्त उद्गार व्यक्त करते हुए शोक संवेदना प्रेषित की है, उनके साथ ही मंडल के संरक्षक डॉ सज्जन सिंह , ज्ञानवती अवस्थी, वरिष्ठ सदस्य राम सहाय मिश्र , रामायण तिवारी, डॉ प्रभाकर चतुर्वेदी, डॉ एच के पाण्डेय, डॉ विमल दुबे एवं मानस मंडल के पदाधिकारी सहित अनेक सदस्यों ने अपनी भावांजलि दी है।
बताया गया कि आज 16 दिसंबर को अपरान्ह 4:30 बजे मानस भवन में शोक सभा आयोजित की गई है, समस्त सनातन प्रेमियों से शोक सभा में उपस्थित होकर अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करने हेतु निवेदन किया गया है।

     
   
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