Consideration is being given to starting this education in Laxmanbagh Sanskrit University
विंध्य वाणी,रीवा। लक्ष्मणबाग में स्थापित हो रहे संस्कृत विश्व विद्यालय में प्रचीन भारतीय शिक्षा प्रारंभ किये जाने की वकालत पूर्व मंत्री पुष्पराज सिंह ने की है। इस संबंध में उन्होंने पिछले दिनों मुलाकात के दौरान डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला के समक्ष प्रस्ताव भी रखा है। पूर्व मंत्री ने कहा कि प्राचीन भारतीय शिक्षा दुनिया भर में सबसे समृद्ध और गौरवशाली रही है। लक्ष्मणबाग संस्कृत विश्व विद्यालय में खगोल शास्त्र सहित उन विषयों को शमिल किया जाय जिनके बारे मेें तक्षशिला एवं नालंदा विश्व विद्यालयों में शिक्षा दी जाती थी। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि वर्तमान में आर्मी और नेवी के सेना प्रमुख रीवा से ही आते हैं और सैनिक स्कूल रीवा में पढ़ाई करके इस मुकाम तक पहुंचे हंै।
उन्होंने कहा कि संस्कृत विश्व विद्यालय में प्राचीन विषयों की शिक्षा दी जाएगी तो भविष्य में यहां ने निकलने वाले छात्र नासा और इसरों में वैज्ञानिक बन विश्व विद्यालय का नाम दुनिया भर में रौशन करेंगें। इसके साथ इस विश्व विद्यालय को अंतर्राष्ट्रीय पहचान भी मिलेगी और विदेश से आने वाले छात्रों के लिए भी ऐसे नये विषय पढऩे को मिलेगे जिनकी शिक्षा विश्व में कहीं और पढऩे को नहीं मिलेगी। पूर्व मंत्री पुष्पराज सिंह ने पूर्व में प्रधानमंत्री एवं डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला को पत्र के माध्यम से अपने सुझाव दिए थे।
जिस पर मुलाकात के दौरान उन्होंने लक्ष्मण बाग में मोदी चंद्रयान तारामंडल की स्थापना के लिए पत्र सौंपते हुए अपने सुझाव दिया। पूर्व मंत्री ने बताया कि महाराज पुष्पराज सिंह जी ने बताया वैदिक प्रक्रिया में सनातन समय से चंद्र नक्षत्र और (इक्विनोक्स) पर आधारित रही है जिसमें लगभग 365 दिन जानकारी में रहे हैं हिंदुत्व की व्यवस्था के साथ वैदिक शिक्षा में संपर्कित रहे हैं। खगोल विज्ञान एवं ज्योतिष शास्त्र बाद में विकसित हुआ वेदक के रूप में वैदिक शिक्षा 15वींं सदी में मानी गई।
इससे पता चलता है कि हमारा ज्योतिष एवं खगोल शास्त्र सबसे प्राचीन एवं सुदृढ़ है। उन्होंने डिप्टी सीएम श्री शुक्ल को इस बात के लिए धन्यवाद दिया कि उनकी सकारात्मक सोच और विकासवादी पहल के कारण इस तरह की मांग रखने के बारे में हम लोग कल्पना कर पा रहे हैं। पूर्व मंत्री ने कहा कि यदि नेहरू प्लैनेटेरियम की जगह मोदी चंद्रयान तारामंडल की स्थापना भारत के हर महत्वपूर्ण धार्मिक तथा शैक्षणिक संस्थानों में स्थापित किया जाता है तो आने वाली सैकड़ों साल की पीढ़ी आभारी रहेगी




