Advocates Association met the Chief Justice of Rewa High Court, all demands will be met
रीवा। अधिवक्ता संघ जिला रीवा के अध्यक्ष राजेन्द्र पाण्डेय एवं मध्य प्रदेश राज्य अधिवक्ता परिषद के सदस्य द्वय शिवेन्द्र उपाध्याय एवं अखण्ड प्रताप सिंह व पूर्व सचिव धीरेन्द्रनाथ चतुर्वेदी व आनन्द सिंह अधिवक्ता ने मुख्य न्यायाधीश से मुलाकात की और उनसे चार मांगों को पूरा करने की बात कही, जिस पर सकारात्मक रुख अपनाते हुये मुख्य न्यायाधीश श्री सचदेवा ने सभी मांगों को क्रमश: पूरा करने का आश्वासन दिया। अधिवक्ता संघ अध्यक्ष ने पहली मांग प्रस्तुत करते हुये कहा कि पुराने न्यायालय भवन के समीप बने हुये लगभग 300 चैम्बर के बदले बिना किसी शर्त के सरेण्डर करने वाले अधिवक्ताओं को चैम्बर आवंटित किया जाय।
जिस पर मुख्य न्यायाधीश ने इस मांग को स्वीकार करते हुये जिन अधिवक्ताओं ने अपने अधिवक्ता कक्ष सरेण्डर कर दिये हैं, उन्हें प्राथमिकता के आधार पर आवंटित करने का आदेश रजिस्ट्रार जनरल को दिया गया। पुराने अधिवक्ता कक्ष सरेण्डर करने वालों को सरेण्डर करने के अलावा अन्य कोई औपचारिकता नही निभानी है। शेष बचे 70 चैम्बरों के बारे मे मुख्य न्यायाधीश से यह कहा गया कि हर माह मंथली कलेक्शन इक_ा करना प्रायोगिक रूप से सफल नही रहता है, अत: यदि नये अधिवक्ता कक्षों को प्राप्त करने वालों से प्रति अधिवक्ता 2.50 लाख रुपये सुरक्षा निधि ली जाकर जिसकी एफ.डी. कर दी जाय और उससे आने वाली ब्याज से स्वच्छता, लिफ्ट संचालन, प्रकाश आदि की व्यवस्था सुचारु रूप से चल सकती है तथा यह सुरक्षा निधि अधिवक्ता कक्ष छोडऩे पर संबंधित अधिवक्ता को वापस कर दी जाएगी।
यह बात इसलिये भी आवश्यक है कि पुराने अधिवक्ता कक्षधारकों ने लगभग इतनी ही राशि देकर अधिवक्ता कक्ष प्राप्त किये हैं। अधिवक्ता संघ द्वारा सर्विस बिल्डिंग मे बैठाये गये कुर्सी-टेबल मे अधिवक्ताओं को होने वाली परेशानी से मुख्य न्यायाधीश को अवगत कराया गया कि तल क्रमांक 2, 3, 4 मे बैठाये गये अधिवक्ताओं को बार-बार अपने चैम्बरों से उतर कर पैरवी करने जाना लगभग असंभव है। जबकि इस भवन मे केवल 2 क्विंटल वजन उठाने वाली लिफ्ट को लगाया गया है, इसलिये यह अधिवक्ताओं के लिये अनुपयोगी है। अत: इन अधिवक्ताओं सुविधाजनक रूप से बैठाने के लिये और विधिक कार्य करने के लिये खाली जमीन दिया जाना व सर्विस बिल्डिंग का भू-तल व प्रथम तल इस हेतु आवंटित करने का कष्ट किया जाय।
अधिवक्ता संघ द्वारा यह भी आपत्ति उठाई गई कि नये नियम मे आपराधिक प्रकरण लम्बित रहते हुये या पिता-पुत्र के बीच विभाजन होने के बावजूद उन्हे अधिवक्ता कक्ष के सुविधा से अलग रखा जायेगा, अत: यह अधिवक्ताओं के मौलिक अधिकारों का हनन है, इन बातों के बारे में अधिवक्ता संघ की राय लिया जाना, उसके आधार पर योग्यता और आयोग्यता तय किया जाना चाहिये।
अधिवक्ता संघ के नये भवन मे सामान्य सभा की बैठक हेतु सामान्य हाल का अभाव है, जबकि कोई भी बड़ा कार्यक्रम सभी अधिवक्ताओं की उपस्थिति मे किया जा सकता है, अत: उसके निर्माण के लिये भी भूमि आवंटित किया जाना आवश्यक है।
उपरोक्त तथ्यों पर मुख्य न्यायाधीश द्वारा प्रभारी न्यायाधिपति उच्च न्यायालय को बठक व्यवस्था स्थल पर देखने व भूमि आवंटन के संबंध में इन्हीं न्यायाधिपति की रिपोर्ट के बाद कार्यवाही की जाएगी। मुख्य न्यायाधिपति द्वारा प्रभारी न्यायाधिपति को रीवा भेजने और समस्या को अवलोकन करने व रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश जारी किया गया है, उसके बाद भूमि आवंटन के संबंध मे निर्णय लिये जाने की बात कही गई है।




