A woman was being stitched after delivery, a fire broke out in the gynecology OT, and the newborn was burned inside…
विंध्य वाणी,रीवा। मेडिकल कॉलेज प्रबंधन की लापरवाही से रविवार को बड़ा हादसा हो गया, लापरवाही के चलते जीएमएच की गायनी ओटी में भीषण आग लग गई। जिससे घंटो अस्पताल परिसर में अफरा-तफरी मची रही। आग पर काबू पाया गया और जब लोग ओटी के अंदर गए तो जो नजारा था वह और भी दर्दनाक था, ओटी के अंदर मासूम नवजात का जला हुआ शव मिला। चर्चा रही कि यह ओटी में लगी आग में मासूम ङ्क्षजदा जल गया वहीं अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि शिशु मृ़त ही पैदा हुआ था और उसे हटाया नहीं जा सका और वह अंदर जल गया। वजह जो भी इस घटना ने एक बार फिर अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही की पोल खोलकर रख दी है। स्वास्थ्य मंत्री के गृह जिले में हुई इस घटना को जिसने भी सुना व देखा वह सरकार को ही कोषता रहा।

बता दें कि रविवार की दोपहर गांधी मेमोरियल अस्पताल की गायनी ओटी के स्क्रब रूमें शार्ट शर्किट हो गया, जहां लगी आग देखते ही देखते गायनी ओटी में पहुंच गई। गायनी ओटी में महिला की डिलेवरी के बाद उसे टांके लगाए जा रहे थे लेकिन आग ने इतना विकराल रूप ले लिया कि महिला मरीज को लेकर वहां से चिकित्सकों सहित अन्य टीम को भागना पड़ा। महिला को तो सुरक्षित निकाल कर इमरजेंसी ओटी में शिफ्ट कर दिया गया लेकिन नवजात वहीं छूट गया। जब आग बुझी तो उसका जला हुआ शव मिला। इस घटना से अस्पताल परिसर में हड़कंप मचा रहा। अब एक बार फिर अस्पताल प्रबंधन मामले की जांच कराए जाने की बात कह रहा है लेकिन लोगो के मन में सवाल वहीं है कि आखिर कब तक इस प्रकार की जांचे चलती रहेंगी और मरीज कब तक इस प्रकार की दुर्दशा का दंश झेलते रहेंगे।

अस्पताल प्रबंधन का दावा है कि गोविंदगढ़ निवासी कंचन साकेत पति रामसखा साकेत उम्र 24 वर्ष की डिलेवरी के पूर्व ही बताया गया था कि हीमोग्लोबिन की कमी के चलते डिलेवरी के पूर्व ही नवजात की मौत हो चुकी है और उनकी सहमति के बाद प्रसव कराया गया था, हालंाकि अस्पताल परिसर में कहा जाता रहा कि प्रसव के बाद महिला को तो निकाल लिया गया लेकिन नवजात वहीं छूट गया और जिंदा जल गया।
घंटो मसक्कत के बाद बुझी आग
बता दें कि जीएमएच गायनी ओटी में लगी आग की सूचना नगर निगम को दी गई, मौके पर पहुंची फॉयर बिग्रेड ने आग बुझाने का प्रयास किया लेकिन यहां भी अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही दिखी, नगर निगम की फॉयर बिग्रेड के यहां तक पहुंचने का रास्ता नहीं था, इतना ही नहीं फॉयर बिग्रेड की पाइप तक यहां नहीं पहुंची, जिसे जोड़तोड़ के किसी तरह अंदर तक ले जाया गया और घंटो मसक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया। दो फॉयर बिग्रेड ने करीब ढ़ाई घंटे मसक्कत के बाद आग पर काबू पाया।

फॉयर सिस्टम की खुली पोल
इस घटना ने अस्पताल के फॉयर सेफ्टी व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी, बता दें कि जब आग शुुरु हुई तो अस्पताल में लगे फॉसर सेफ्टी उपकरणों से आग बुझाने का प्रयास किया गया लेकिन वह सब खराब निकले, जिससे आग और भड़क गई। अस्पताल प्रबंधन हर वर्ष फॉयर सेफ्टी के नाम पर लाखो रुपए कागजों में खर्च करता है जो इस प्रकार की विकराल घटनाओं में किसी काम नहीं आते हैं।
लगातार शार्टशर्किट लेकिन सुधार नहीं
यह शार्ट शर्किट से आग लगने की अस्पताल में पहली घटना नहीं है, इसके पहले भी एसजीएमएच और जीएमएच में कई बार शार्ट शर्किट से आग लग चुकी है लेकिन किसी प्रकार की कोई घटना नहीं होने अस्पताल प्रबंधन लापरवाह बना रहा। बता दें कि लाखों रुपए हर वर्ष मेंटीनेंस के नाम पर फूंके जा रहे हैं लेकिन इसके बाद भी इस प्रकार की घटनाएं लगातार हो रही है और इस अव्यवस्था में सुधार नहीं किया जा रहा है।

मची रही अफरा-तफरी
इस घटना के बाद से अस्पताल परिसर में अफरा-तफरी का महौल निर्मित रहा, बता दें कि मरीज व परिजन आग के डर से भाग खड़े हुए, वहीं यदि आग और ज्यादा फैलती तो गायनी वार्ड सहित बच्चा वार्ड को प्रभावित कर सकती थी, जिससे बड़ी घटना अस्पताल परिसर में हो सकती थी। इस घटना से करोड़ो रुपए का नुकसान प्रबंधन का हुआ है, बताया गया कि फिलहाल प्रशव के लिए इमरजेंसी ओटी व सर्जरी ओटी का उपयोग किया जाएगा। वैकल्पिक व्यवस्था बना दी गई है।
अधिकारियों ने किया निरीक्षण
घटना की जानकारी मिलते ही डीन डॉ.सुनील अग्रवाल सहित अधीक्षक डॉ.राहुल मिश्रा व अन्य अधिकारी व चिकित्सक घटना स्थल पर पहुंच गए। आग पर नियंत्रण पाए जाने के बाद ओटी का निरीक्षण किया गया और उसे बंद करा दिया गया है। अधिकारी हर पहालुओं पर ध्यान दे रहे हैं।
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घटना की जानकारी मिली है जो कष्टकारक है। जांच के निर्देश दिए गए हैं। जांच के बाद ही वस्तुस्थिति सामने आयेगी। जांच उपरांत कार्यवाही जायेगी।
राजेंद्र शुक्ल
उपमुख्यमंत्री व स्वास्थ्य एवं चिकित्सा मंत्री मप्र शासनजीएमएच की गायनी ओटी में आग शार्ट शर्किट से लगी, जिससे काफी नुकसान हुआ है, जब आग लगी तो महिला की डिलेवरी करा दी गई थी और उसे टांके लगाए जा रहे थे, प्रशव के पूर्व ही नवजात की मौत हो चुकी थी और उसे मृत निकाला गया था, हां यह जरूर है कि आग लगने के बाद महिला को बचाने के प्रयास में शव अंदर ही छूट गया जो आग से ही झुलस गया। परिजनों को पूर्व में ही नवजात के मृत होने की सूचना दे दी गई थी। मामले की जांच की जा रही है।
डॉ.राहुल मिश्रा, अधीक्षक जीएमएच रीवा।
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