रीवा। नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष हैं या नहीं इस पर अब भी संशय बना हुआ है, नेता प्रतिपक्ष के पद को लेकर तत्कालीन आयुक्त आरपी सिंह ने आदेश जारी किए थे कि नेता प्रतिपक्ष कोई पद नहीं और विधि अधिकारी ने पत्राचार भी किया था लेकिन वर्तमान आयुक्त मृणाल मीना ने अब तक इसको लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं की है कि निगम में नेता प्रतिपक्ष हैं या नहीं, वहीं दूसरी ओर वार्ड क्रमांक 20 के पार्षद दीनानाथ वर्मा खुद को नेता प्रतिपक्ष बता रहें है और लगातार होर्डिंगो, स्टेटमेंट सहित अन्य में उनको नेता प्रतिपक्ष नगर निगम लिखा जा रहा है। स्थिति स्पष्ट नहंी होने से निगम के पार्षदों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है,इसको लेकर सवाल खड़े किए जा रहे हैं कि नेता प्रतिपक्ष हैं या नहीं और निगम प्रशासन से जवाब मांगा जा रहा है। भाजपा ने भी अभी तक इसको लेकर कोई बयान नहीं जारी किया है।
भाजपा को उल्टा पड़ा खेल?
बता दें कि नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष को लेकर अब तरह-तरह की चर्चाएं होने लगी है। कांग्रेसी इस पर भाजपा की राजनीति को उस पर ही उल्टा पडऩा बता रहें है, कांग्रेसियो का कहना है कि भाजपा ने जो खेल किया था वह अब उस पर ही उल्टा पड़ गया है, भाजपा के दबाव में ही तत्कालीन अधिकारी-कर्मचारियों सहित एमआईसी ने नेता प्रतिपक्ष पद को लेकर सवाल खड़ा किया था और आदेश व नोटिस जारी किए थे लेकिन अब भाजपा ने खुद नेता प्रतिपक्ष बना डाला। चर्चाओं में बताया जा रहा है कि निगमायुक्त ने विधि अधिकारी को वार्ड क्रमांक 20 पार्षद से इस संबंध में जानकारी लेने के लिए आदेशित किया है कि वह किस हैसियत और नियम से अपने आप को नेता प्रतिपक्ष लिख रहे हैं, हालांकि निगमायुक्त ने ऐसी कोई जानकारी सार्वजनिक नहीं की है चर्चाओं में ही ऐसा कहा जा रहा है लेकिन यदि भाजपा पार्षद को विधि अधिकारी का नोटिस पहुंचता है तो चर्चाओं में चल रही बात की भाजपा को उनका दांव अब उन पर ही भारी हो रहा है सही साबित होगा।
पार्टी अध्यक्ष निगम में नहीं कर सकते हस्ताक्षेप
वहीं नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने को लेकर भाजपा जिला अध्यक्ष अजय सिंह पटेल द्वारा जारी आदेश को लेकर भी जानकार सवाल खड़ा कर रहे हैं उनका कहना है कि किसी भी पार्टी के पदाधिकारी निगम के कार्य में हस्ताक्षेप नहीं कर सकते हैं और फिर ऐसे में किस अधिकार से भाजपा जिला अध्यक्ष ने नेता प्रतिपक्ष नगर निगम में बनाया है, निगमायुक्त को इस पर जिला अध्यक्ष से भी जवाब लेना चाहिए।
अब बुरा फंसे अधिकारी-कर्मचारी
बता दें कि नगर निगम में वर्तमान में महापौर कांग्रेस के हैं और अध्यक्ष भाजपा, वहीं प्रदेश में तो सरकार भाजपा की है लेकिन शहर सरकार कांग्रेस की है, ऐसे में अब निगम के अधिकारी-कर्मचारी बीच फंसे हुए हैं, अभी तक चर्चाओं में कहा जाता था कि निगम के अधिकारी-कर्मचारी भाजपा के दबाव में काम करते हैं और इसके कई उदाहरण भी सामने आए है नेता प्रतिपक्ष का मामला सार्वजनिक है लेकिन अब चर्चाओं में कहा जा रहा है कि अधिकारी-कर्मचारी महापौर अजय मिश्रा बाबा की ज्यादा सुनते हैं यही वजह है कि भाजपाईयों में बौखलाहट है और वह शक्ति प्रदर्शन को लेकर उल्टा-सीधी नियम विरूद्ध कार्य कर रहे हैं। अब इन चर्चाओं में कितनी सत्यता है यह तो जांच का विषय है।




