Mahamandaleshwar Akhileshwaradas Maharaj said… If you want to live in the country, you will have to say Bharat Mata ki Jai and Vande Mataram…
प्रतीक तिवारी,रीवा। जब हम हिंदुस्तान में रहते हैं, यहां व्यवसाय करते हैं और यहां का खाते हैं तो हमें भारत माता की जय या फिर वंदे मातरम कहने में क्या आपत्ति हो सकती है, जब आप जहां रहते हैं वहां की जय नहीं कर सकते और पाकिस्तान या अन्य देश की जय कहेंगे तो आप को हिंदुस्तान में रहने का कोई अधिकार नहीं है। ऐसे लोगो को देश से सीधे बाहर का रास्ता दिखाकर वहीं भेज देना चाहिए जो जहां की जय बोलते हैं। उक्त बाते बुधवार को रीवा प्रवास पर रहे विश्व हिंदू परिषद् केन्द्रीय धर्माचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अखिलेश्वर दास जी महाराज ने कहीं… उन्होंने मप्र की राजनीति को लेकर कहा कि मप्र में एक राजघराने के ऐसे नेता हैं, जिनका काम ही विरोध करना है। मुझे तो आज तक उनका जाति और धर्म नहीं पता चला कि वह किस जाति धर्म के हैं, ऐसे लोग सिर्फ देश विरोधी काम कर सकते हैं, उनका काम ही है विरोध करना और वह विरोध ही करते रह जाएंगे। इसके अलावा भी स्वामी अखिलेश्वर दास जी महाराज ने दैनिक जागरण के कई सवालों के जवाब दिए, पेश है बातचीत के कुछ अंश…
सवाल: देश की वर्तमान परिस्थिति के संबंध में आप क्या कहेंगे?
जवाब: देश की वर्तमान स्थिति बिल्कुल ठीक है, जब से देश में मोदी सरकार आई है, तब से आतंकवाद कम हुआ है। हाल ही में जो दिल्ली में बम ब्लास्ट हुआ वह अतिनिंदनीय है लेकिन इस कारनामे को करने वाले तक पहुंच गई है, पहले ऐसा नहीं होता लेकिन अब ऐसे कारनामों को करने वालो को छोड़ा नहीं जाएगा। इसके पहले की सरकारों में यह स्थिति थी कि हिंदू अपनी संस्कृति के बारे में विद्यालयों, विश्वविद्यालयों में जानकारी ही नहीं दे सकता था लेकिन अब महौल ऐसा नहीं है। देश के कुछ नेता ऐसे हैं जो देश को जाति के नाम पर बांटना चाहते हैं लेकिन हमें सिर्फ खुद को हिंदू मानना चाहिए। मेरा मानना है कि देश में सिर्फ दो जातियां हैं, एक हिंदू और दूसरा मुस्लिम तीसरी कोई जाति नहीं है। मेरा मानना है कि हमें एक होकर देश के लिए काम नहीं करना चाहिए।
सवाल: सहिष्णुता भारतीयता की पहचान है, उदारवाद कार्य शैली, यह वर्तमान समय में कितना उपयुक्त है? गांधी जी की विचारधारा थी कि एक गाल में कोई थप्पड़ मारे तो दूसरा गाल आगे कर दो?
जवाब: सहिष्णुता का विषय यह है कि मैं मानता हूं कि हमारी सरलता हमारी कायरता नहीं है, सरल होना नम्र होना अच्छी बात है लेकिन मैं गांधी जी की विचार धारा को नहीं मानता, मैं सरदार पटेल, शुभाष चंद्र बोष, महारानी लक्ष्मी बाई, महाराण प्रताप व भगत सिंह इनके विचारों को मानता हूं। गांधी जी ने कहा कि एक गाल में तमाचा मारोतो दूसरा गाल आगे कर दो लेकिन दूसरे में भी तमाचा लग गया तो तीसरा गाल कहां से लाएंगे? इसलिए जो जैसा है उसको उसी की भाषा में जवाब देना चाहिए। उल्लू को सूर्य नहीं दिखाई देते हैं, जितने देश द्रोही हैं उन उल्लुओं को भगवान श्रीराम का मंदिर नहीं दिखाई दे रहा है।
सवाल: भारत में कई धर्म के लोग रहते हैं, ऐसी स्थिति में धर्म और राजनीति में समन्वय कैसे स्थापित हो सकता है?
जवाब: हमारा देश अनेक विचारों वाला, अनेक धर्मो वाला रहा है, भारत देश ने सबको समाहित किया है, पूजा पद्धति भले अलग हो लेकिन हम हमेशा से एक रहे हैं। भगवान राम जन-जन के बीच महल को छोड़कर रावण को मारने नहीं गए थे, वह जन-जन तक राम राज्य स्थापित करने गए थे। हमारी संस्कृति एक है, हिंदूस्तान में रहकर यदि भारत माता की जय और वंदे मातरम बोलने में यदि किसी हिंदू को तकलीफ होती है तो उसे हिंदूस्तान में रहने का कोई अधिकार नहीं है। कांग्रेसियों की विचारधारा ऐसी है, संसद में बैठे कई लोग है जिन्हें यह बोलने में तकलीफ होती है तो मेरा मानना है कि उन्हें यहां रहने का अधिकार नहीं, हिंदुस्तान में रहना है तो भारत माता की जय तो कहना होगा। कांग्रेस के शासन में अलगाव वादी नेता के चरणों के पास बैठकर पीएम उनकी शर्तो पर काम करते थे लेकिन अब ऐसा नहीं है, जब 370 हटाने की बात आई तो विरोध किया गया लेकिन परिणाम आज आपके सामने हैं। सत्ता बदली विचारधारा बदली, भारत माता के उपासक आए और आज यह बदलाव आपके सामने है, जिनका काम विरोध करना है वह विरोध करेंगे ही। जिसके डीएनए में विरोध करना है वह विरोध ही करेंगे। राम मंदिर हिंदू समाज की प्रतिष्ठा का विषय था, हम तो पाकिस्तान में जाकर अंदोलन नहीं किए कि हम वहां मंदिर बनाएंगे। हमारी जगह पर मांग करना बिल्कुल गलत था। जो कचरा भरा है उसे साफ करने में समय लगेगा, मप्र में ही एक राज घराने का व्यक्ति है जिसका काम करना ही विरोध है, मुझे आज तक उसकी जाति नहीं पता चली? मुझे संका है कि वह हिंदू है कि नहीं। हम सब हिंदू एक है। सब को अपने धर्म को मानने की स्वतंत्रता है लेकिन आप भारत में हैं तो सब को भारत माता की जय बोलना होगा चाहे वह कोई भी हो।
सवाल: शिक्षा में धर्म या धर्म में शिक्षा आप किसे उपयुक्त मानते हैं?
जवाब: जिस जगह धर्म नहीं है वो राजनीति नहीं हो सकती। धर्म की परिभाषा यह नहीं है कि मंदिर में जाकर घंटी बजाना, धर्म यह है कि जिसे जो दायित्व मिला है उस दायित्व का निर्वहन ठीक से करें। किसी के साथ किसी प्रकार का अन्याय न हो। हमारे देश के नेता गण है, उन्हें विधायक मंत्री बनाया है और आप ने शपथ लिया है और यदि उसके अनुसार आप काम कर रहे हैं तो आप धर्म कर रहे हैं। धर्म स्वयं एक शिक्षा है।
सवाल: भारत विश्वगुरु कब बनेगा और कैसे?
जवाब: मैं इस बात पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा, मैं नहीं मानता की भारत विश्वगुरु नहीं है, भारत विश्वगुुरु है, विश्वगुरु था और विश्वगुुरु रहेगा। हमारा देश सोने की चिडिय़ा था, हां अब बदलाव लाने की जरूरत है। मैं कहता हूं कि जितने देशद्रोही हैं उनका नाम वोटर लिस्ट से हटा देना चाहिए। भारत में रहते हैं और यहां का खाते हैं और व्यवसाय यहां करते हैं और बोलते हैं जय पाकिस्तान की तो उन्हेंं सीधे यहां से हटा देना चाहिए। उन्हें पाकिस्तान भेज दिया जाना चाहिए। कचरा साफ करने की जरूरत है जो राजनीति में कचरा हैं भी उन्हें हटाना होगा।
सवाल: वर्तमान में चल रहा एसआईआर आपकी नजर में क्या है?
जवाब: एसआईआर बिल्कुल ठीक है, इससे जितने घुसपैठिएं हैं उन्हें सबको यहां से निकालना चाहिए, ऐसे घुसपैठिओं को तो बिना एसआईआर के ही धूढ़-धूढ़ के देश से बाहर किया जाना चाहिए। यह काम पत्रकार और पुलिस कर सकते हैं। एसआईआर से देश में बड़ा बदलाव आएगा।
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