रीवा। बिहार विधानसभा चुनावों में भाजपा को मिली बंपर जीत का मिला टॉनिक मध्य प्रदेश के नेताओं को भारी पडऩे लगा है। बिहार चुनाव के पहले इस बात की अटकलें काफी तेज हो गईं थीं कि प्रदेश में जल्दी ही निगम मंडलों में उन नेताओं को पद से नवाजा जाएगा जिनके पास फिलहाल कोई काम नहीं है। इसके माध्यम से उन नेताओं को भी संतुष्ट करने का प्रयास किया जाना था , जिन्हें विधानसभा चुनाव में टिकट से वंचित किया गया था। इसके अलावा पार्टी की प्रदेश कार्यकारिणी में भी उन्हें कोई स्थान नहीं प्रदान किया गया था।
ऐसे ऐसे नेताओं को संतुष्ट करने के लिए उन्हें निगम मंडलों में एडजस्ट करने का प्रलोभन दिया गया था। लेकिन बिहार चुनाव संपन्न होने और मिली बंपर जीत के बाद मध्य प्रदेश में निगम मंडलों में नियुक्त का मामला ठंडा पड़ता परिलक्षित हो रहा है। इधर प्रदेश के नेता अपने-अपने आकाओं के माध्यम से निगम मंडलों में स्थान पाने के लिए निरंतर प्रयासरत हंै।
किंतु बिहार चुनाव संपन्न होने के बाद इस तरह की कोई सुगबुगाहट ही नहीं चल रही है। ऐसे में वे नेता अब अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं, जिन्होंने यहां से जाकर बिहार चुनाव में दिन-रात पसीना बहाया। ऐसे नेताओं की अकुलाहट लगातार बढ़ती जा रही है। इन नेताओं का मानना है कि अगर अभी निगम मंडलों में नियुक्त नहीं की गई तो कुछ दिन बाद से 2028 में होने वाले विधानसभा चुनावों की तैयारियां प्रारंभ कर दी जाएंगी और इसके बाद नियुक्तियों का मामला ही समाप्त हो जाएगा।
दूसरी तरफ प्रदेश सरकार और प्रदेश संगठन की कद्दावर नेता इस मामले में फिलहाल मौन साधे हुए हैं। सूत्रों का कहना है कि निगम मंडलों में भी पद सीमित हैं, ऐसी स्थिति में अगर नियुक्तियां प्रदान की जाएगी तो एक अनार सौ बीमार वाले स्थिति निर्मित हो सकती है, और यदि ऐसा हुआ तो लोगों की नाराजगी और बढ़ सकती है जो आगामी विधानसभा चुनावों की सेहत के लिए ठीक नहीं होगा। शायद यही वजह है कि निगम मंडलों में नियुक्ति का मामले को ठंडा बस्ते में डाल दिया गया है।



