सतना। बांधवगढ़ नेशनल पार्क से घायल अवस्था अवस्था में उपचार के लिए चिडिय़ाघर लगाया गए बाघ ने अंतत: दम तोड़ दिया। चिडिय़ाघर के अस्पताल की टीम बाघ को बचाने में नाकाम रही। बाघ की मौत के बाद अधिकारियों की मौजूदगी में उसका अंतिम संस्कार किया गया। ज्ञात हो कि बांधवगढ़ बाघ में आपसी संघर्ष में एक बाघ बुरी तरह से घायल हो गया था। खितौली रेंज के गढ़पुरी बीट में आपसी संघर्ष में बाघ की रीड़ की हड्डी टूट गई थी। घायल हालत में बाघा को बांधवगढ़ से मंगलवार की रात को महाराजा मार्तण्ड सिंह जुदेव चिडिय़ाघर के अस्पताल लाया गया। यहां अस्पताल में घायल बाघ इलाज चला लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका। अस्पताल के डॉक्टर और टीम की मशक्कत के बाद भी बाघ ने दम तोड़ दिया। 12 घंटे में ही बाघ की जान चली गई।
बुधवार की दोपहर 12 बजे दम निकलने के बाद इसकी सूचना भोपाल से लेकर रीवा सीसीएफ को दी गई। पीएम किया गया। पीएम के बाद सीसीएफ आनंद सिंह, डीएफओ सतना, जू प्रबंधक की मौजूदगी में उसका अंतिम संस्कार किया गया। जानकारी के अनुसार मरने वाले बाघ की उम्र सिर्फ एक साल थी।
इसके पहले भी चिडिय़ाघर में कई बाघों की मौत हो चुकी है। डॉक्टरों की टीम यहां बाघों पर लंबे समय से काम कर रही है लेकिन अब तक एक्सपर्ट नहीं बन पाए हैं। यही वजह है कि अस्पताल पहुंचने वाले वन्यजीवों को बचा नहीं पा रहे हैं। हद तो यह है कि अब जांच के लिए कई आधुनिक उपकरण भी यहां पहुंच गए हैं, फिर भी इसका फायदा वन्यजीवों को नहीं मिल पा रहा है।
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