Close Menu
Vindhya Vani
  • Home
  • राष्ट्रीय
    • नई दिल्ली
    • छत्तीसगढ़
    • उत्तर प्रदेश
    • पंजाब
  • मध्य प्रदेश
    • भोपाल
    • जबलपुर
    • इंदौर
    • सागर
    • उज्जैन
    • चम्बल
  • विंध्य
    • रीवा
    • सीधी
    • सतना
    • सिंगरौली
    • शहडोल
    • कटनी
    • अनूपपुर
    • उमरिया
    • पन्ना
    • छतरपुर
  • मनोरंजन
  • खेल
    • क्रिकेट
      • आईपीएल
    • अन्य खेल
  • स्वास्थ्य
  • अपराध
  • शिक्षा
Facebook X (Twitter) Instagram YouTube WhatsApp
Vindhya Vani
Google News
  • Home
  • राष्ट्रीय
    • नई दिल्ली
    • छत्तीसगढ़
    • उत्तर प्रदेश
    • पंजाब
  • मध्य प्रदेश
    • भोपाल
    • जबलपुर
    • इंदौर
    • सागर
    • उज्जैन
    • चम्बल
  • विंध्य
    • रीवा
    • सीधी
    • सतना
    • सिंगरौली
    • शहडोल
    • कटनी
    • अनूपपुर
    • उमरिया
    • पन्ना
    • छतरपुर
  • मनोरंजन
  • खेल
    • क्रिकेट
      • आईपीएल
    • अन्य खेल
  • स्वास्थ्य
  • अपराध
  • शिक्षा
Vindhya Vani
Home » यह एक ऐसी बटन दबाने से ही खुल जाती थी निगम की पोल, घबराए अधिकारियों ने ऐसे कर दिया बन्द!…
Uncategorized

यह एक ऐसी बटन दबाने से ही खुल जाती थी निगम की पोल, घबराए अधिकारियों ने ऐसे कर दिया बन्द!…

Vindhya VaniBy Vindhya VaniDecember 17, 2021No Comments4 Mins Read
Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
Share
Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email
सभी ताजा खबरें पढ़ने के लिए कृपया जरूर जुड़े🙏 Join Now

रीवा। नगर निगम प्रशासन द्वारा शहर के सार्वजनिक शौचालयों की स्थिति जानने के लिए लाखों रुपए खर्च कर फीडबैक मशीने लगवाई गई थी, इन मशीनों से दिल्ली स्तर पर शहर के सार्वजनिक शौचालयों की मानिटरिंग की जाती थी। दो वर्ष पूर्व स्वच्छता सर्वेक्षण 2019 में इन मशीनों को निगम ने सार्वजनिक शौचालयों में स्थापित कराया था लेकिन अब यह फीडबैक मशीनें बंद पड़ी है। इससे किसी प्रकार की कोई मानिटरिंग निगम नहीं करा रहा है। हैरानी की बात तो यह है कि अधिकारी इस मशीन का मेंटीनेंस और इससे मानिटरिंग कराने की जगह रजिस्टर पर जनता की राय ले रहे है। यह भी जनता दे रही है या फिर शौचालय संचालक द्वारा मनमानी कागजी फीडबैक तैयार किया जा रहा है इस बात को भी गलत नहीं ठहराया जा सकता है। स्वच्छ सर्वेक्षण 2019 के समय इन मशीनों से लगातार मानिटरिंग कम्प्यूटर के माध्यम से की जाती थी, किसी एरिया का कौन सा शौचालय कितना स्वच्छ है इस बात की जानकारी निगम को आसानी से मिल रही थी और जहां गंदगी होती थी अधिकारी सुधार के लिए आदेशित करते रहते थे लेकिन अब यह व्यवस्था पूरी तरह से बंद है। बताया जाता है कि इसके लिए बीएसएनएल के साथ निगम ने अनुबंध किया था जिसके द्वारा एक आईडी पासवर्ड निगम को दिया गया था इसी से मानिटरिंग भी होती थी लेकिन अब अधिकारियों को आईडी पासवर्ड की जानकारी ही नहीं है।

   

लगभग 12 लाख रुपए किए गए थे खर्च
बता दे कि जिस समय निगम प्रशासन द्वारा इन मशीनों को लगवाया गया था, उस समय ही अधिकारियों ने इनकी कीमत को लेकर जानकारी नहीं दी थी। अनुमानित रेट एक मशीन का 25 से 30 हजार रुपए बताया गया था, इस हिसाब से निगम ने इन 46 शौचालयों में मशीन लगवाने के लिए करीब 12 लाख रुपए खर्च किया था। इसी प्रकार बीएसएनएल कंपनी के माध्यम से इसका संचालन करने के लिए भी लाखों रुपए का खर्च किया गया था लेकिन सर्वेक्षण के बाद इन मशीनों को निगम भूल ही गया। अब आलम यह है कि यह मशीने सार्वजनिक शौचालयों में केवल शोपीस बनकर रह गई है। ओडीएफ प्लसप्लज सर्टिफिकेट सहित सर्वेक्षण के लिए की जा रही एमआईएस फीडिंग में निगम को नियमत: इन मशीनों की फीडबैक रिपोर्ट दी जानी चाहिए लेकिन निगम द्वारा रजिस्टर में जनता द्वारा दिया जा रहा फीडबैक रिपोर्ट भरी जाती है। इसका एक बड़ा कारण यह भी है कि मशीनों के माध्यम से मिल रहे फीडबैक में जनता सार्वजनिक शौचालयों के हकीकत की पोल खोल रही थी जिससे निगम के अंक कट रहे थे लेकिन रजिस्टर के फीडबैक में निगम मनमानी रिपोर्ट तैयार कर लेता है।

56 हजार आया था बिल–
आधिकारिक सूत्रों की माने तो जब निगम ने यह मशीने लगवाई तो इसके संचालन का काम बीएसएनएल को दिया गया था। काम के बाद करीब 56 हजार का बिल भुगतान होना था, लेकिन निगम ने नही किया। कुछ दिन तक मशीनों में बीएसएनएल की चिप लगी रही लेकिन बाद में उन्हें निकाल लिया गया। जिसके बाद से यह मशीने सिर्फ डिब्बा बनकर रह गई है।, गूगल मैप में भी शौचालय की जानकारी ठीक से नहीं मिल रही है जबकि गूगल लोकेशन की जानकारी भी निगम को सार्वजनिक शौचालयों के आस-पास संकेतक में प्रदर्शित करनी है।

करीब 12 लाख खर्च कर यह फीडबैक मशीने सार्वजनिक शौचालय में लगाई गई थी, ताकि जनता की राय से पता चल सके कि सुलभ शौचालय में सेवाएं कैसी मिल रही है लेकिन अब यह खराब पड़ी है। इसमें सुधार इसलिए नही कराया जाता क्योंकि निगम की हकीकत सामने आ जयेगी। जब इन्हें डब्बा ही बनाना था तो लाखों रुपये खर्च क्यों किये गए। इनमे सुधार कर मॉनिटरिंग शुरू होनी चाहिए।
अजय मिश्रा बाबा, पूर्व नेता प्रतिपक्ष ननि।

     
   
Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
Vindhya Vani
  • Website

Hello Reader's, We have more than 5 Year's Content Writing and Editing Experience. I Have Join the Vindhya Vani on 2021.

Related Posts

लापरवाही! अब तक रीवा में नहीं जारी हो पाया परीक्षा परिणाम, यह है वजह…

December 1, 2025

Activa और Jupiter को नानी याद दिलाने आ रहा Yamaha का धांसू स्कूटर, जाने क्या होगी इसकी कीमत

June 29, 2024

KUMAAR VISHWAS को सुनना है तो फटाफट यहां पहुंचिए…

June 18, 2024
Latest Post

BIG BREAKING: APSU REWA ने तय किए दीक्षांत समारोह में मानद उपाधि के लिए नाम, इन दो हस्तियों को दी जाएगी…

December 3, 2025

सैनिक स्कूल रीवा में गौरव का क्षण: इनका होगा आगमन, तैयारियां तेज…

December 2, 2025

REWA NEWS:मंदिर में किया प्रेम विवाह फिर पुलिस को दी सूचना…

December 2, 2025

विवादित IAS SANTOSH VERMA: पूरे देश में हो रहा विरोध, रीवा में ओबीसी महासभा सहित यह उतरे समर्थन में…

December 2, 2025

काम वहीं लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार देती है 13126 रुपए और मप्र में मिल रहा 5 रूपए…

December 2, 2025
    About Us
    About Us

    Welcome to Vindhya Vani, your number one source for all things related to Hindi News and provide the best content to read. We're dedicated to giving you the very best of News from our Rewa Madhya Pradesh with a focus on quality and real-world problem solutions.

    • Facebook
    • Twitter
    • Pinterest
    • Instagram
    • YouTube
    • Telegram
    • WhatsApp
    • LinkedIn
    © 2025 Vindhya Vani
    • Vindhya Vani – Read Latest Updates
    • About Us
    • Contact us
    • Privacy Policy

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.