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Home » Vindhya Politics:जन अपेक्षा में खरे नहीं उतरे तो कई दिग्गजों को विंध्य में मिल चुकी है शिकस्त…
उमरिया

Vindhya Politics:जन अपेक्षा में खरे नहीं उतरे तो कई दिग्गजों को विंध्य में मिल चुकी है शिकस्त…

Vindhya VaniBy Vindhya VaniApril 1, 2024No Comments4 Mins Read
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रीवा। देश की राजनीति में विंध्य का अलग स्थान आज भी है। इसमें इतनी उर्वरा शक्ति है कि जमीन के व्यक्ति को शिखर में पहुंचाया है। पूर्व मुख्यमंत्री शंभूनाथ शुक्ल, अर्जुन सिंह, श्रीनिवास तिवारी इसके उदाहरण हैं। जैसी माटी वैसे लोग। यहां की आवाम ने भी जिसे लिया सिर आखों में, लेकिन जब जन आपेक्षाओं में खरे नहीं उतरे तो पटखनी देने में भी देरी नहीं की। यहां तक कि महाराजा और महारानी को भी नहीं बख्शा। उत्तराखंड के शिवदत्त उपाध्याय को तीन बार सांसद बनाया तो महाराजा-महारानी सहित चार मुख्यमंत्रियों विंध्य के पूर्व मुख्यमंत्री शंभूनाथ शुक्ल, मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह, वीरेंद्र कुमार सकलेचा, अजीत जोगी(छत्त्ीसगढ़) व पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी को भी सबक सिखाया।

   

 

 

 

 

अर्जुन सिंह ने तो सतना से चुनाव हारने के बाद मैदान ही छोड़ दिया। यह अलग बात है कि राज्यसभा सांसद बन कर केंद्रीय मंत्री रहे। श्रीनिवास तिवारी भी एक बार लोकसभा लड़े और हारने के बाद दोबारा नहीं लड़े। हां, विधानसभा में भाग्य जरूर अजमाते रहे। हम विंध्य के दिग्गज नेताओं की बात करें तो पंडित शंभूनाथ शुक्ल, महाराजा मार्तण्ड सिंह, दादा सुखेंद्र सिंह नागौद, यमुना प्रसाद शास्त्री, दलपत सिंह परस्ते, दलवीर सिंह, मोतीलाल सिंह, जगदीश चंद्र जोशी, ज्ञान सिंह जबकि सन् 2000 दशक के नेताओं में राजेंद्र सिंह, राजेश नंदिनी सिंह, रामानंद सिंह, सुंदरलाल तिवारी, चंद्रमणि त्रिपाठी, अजय सिंह राहुल का नाम आता है। इन सभी नेताओं को हार का सामना करना पड़ा है।

 

 

 

दो मुख्यमंत्री आमने-सामने, दोनों हारे
1996 के आम चुनाव में विंध्य की सतना संसदीय सीट से दो पूर्व मुख्यमंत्री आमने-सामने थे और दोनों हार गए थे। इनकी लड़ाई का फायदा बसपा के सुखलाल कुशवाहा को मिला था और सतना में बसपा को पहली व अब तक की आखिरी जीत मिली थी। पूर्व मुख्यमंत्री कुंवर अर्जुन सिंह 1991 के चुनाव में सतना संसदीय क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतरे। उन्होंने जनसंघ और उसके भाजपा के दिग्गज नेता सुखेंद्र सिंह को हराया। वह तत्कालीन नरसिम्हाराव सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रहे। 1996 के चुनाव में अर्जुन सिंह फिर मैदान में उतरे। उन्हें घेरने के लिए भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री वीरेंद्र सकलेचा को मैदान में उतारा लेकिन दोनों हार गए। खरसिया व दिल्ली में चुनाव जीत कर महायोद्धा बने अर्जुन का गांडीव काम न आ सका।

 

 

छग के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी भी अजमा चुके हैं भाग्य
शहडोल के तत्कालीन कलेक्टर व छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी 1999 में शहडोल संसदीय क्षेत्र में अपना भाग्य अजमा चुके हैं। अजीत जोगी शहडोल में कलेक्टर थे। उस समय अर्जुन सिंह मुख्यमंत्री थे। अर्जुन सिंह के प्रभाव में आकर श्री जोगी कलेक्टरी छोड़कर राजनीति में आए थे। 1999 में उन्हें शहडोल लोकसभा क्षेत्र से उतारा गया लेकिन वह चुनाव हार गए।

 

 

पिता की जमीन नहीं हरी कर सके राहुल
2014 के विधानसभा चुनाव के पूर्व चुरहट के अजेय अजय सिंह राहुल अपनी पिता की जमीन नहीं हरी कर सके। 2013 में उन्हें सतना संसदीय सीट से उतारा गया लेकिन वह हार गए।

 

कौन कितनी बार हारा
नेता लोस रिजल्ट वर्ष
शंभूनाथ शुक्ल रीवा 01 बार 1971 महाराजा मार्तंड सिंह रीवा 01 बार 1977
राव रणबहादुर सिंह सीधी 01 बार 1977
यमुना प्रसाद शास्त्री रीवा 04 बार 1971, 1980, 1984, 1991
दादा सुखेंद्र सिंह सतना 02 बार 1980, 1991,
जगदीश चंद जोशी सतना 01 बार 1984
महारानी प्रवीण कुमारी रीवा 02 बार 1989, 1991
श्रीनिवास तिवारी रीवा 01 बार 1991
सुंदर लाल तिवारी रीवा 04 बार 1996, 2004, 2009, 2014
चंद्रमणि त्रिपाठी रीवा 02 बार 1999, 2009
इंद्रजीत कुमार पटेल सीधी 02 बार 2009, 2013
दलपत सिंह शहडोल 04 बार 1984, 1991, 1996, 1998
दलवीर सिंह शहडोल 02 बार 1996,1998
राजेश नंदिनी सिंह शहडोल 02 बार 2004, 2013
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