रीवा। अब
तक आग के हवाले कर दिया जाने वाला पैरा और खेतो में फेंक दिए जाने वाले
गोबर की खपत अब बढ़ेगी और इसके बदले जिले के किसानों को मोटी रकम भी
मिलेगी। इससे अब ईधन तैयार किया जाएगा। इसके लिए योजा तैयार कर काम भी शुरु
कर दिया गया है। इससे ऐरा प्रथा पर भी रोक लगेगी। यदि सब कुछ प्लॉन के
अनुसार हुआ तो जिले के किसानों के लिए आय का यह बड़ा श्रोत बनेगा। रीवा में
पैरा और गोबर से सीएनजी बनाने की तैयारी है। प्रोजेक्ट पर काम शुरू हो गया
है। 30 करोड़ इस पर खर्च होगा। तैयार सीएनजी आयल कंपनी खरीदेगी। अनुबंध हो
चुका है। जो सरकार न कर पाई वह उद्यमी करके दिखाएंगे।
क्या है मामला…
रीवा
में सीएनजी बनाने के लिए स्थानीय उद्यमी ही आगे आए हैं। इसमें करीब 30
करोड़ का खर्च आएगा। रीवा के आसपास करीब 5 से 6 एकड़ जमीन की तलाश की जा
रही है। जहां आसपास पानी की पर्याप्त व्यवस्था हो। यहां गाय का गोबर और
पैरा लाया जाएगा। दोनों को प्लांट में सड़ाया जाएगा। सड़ाने के बाद तैयार
सीएनजी को पाइप लाइन के माध्यम से ऑयल कंपनी को सप्लाई की जाएगी। ऑयल कंपनी
इसका भुगतान उद्यमियों को करेगा। जिससे जल्द ही किसानों को आवारा मवेशियों
से मुक्ति दिलाएंगे। गाय का गोबर भी बिकेगा। जो किसान किसानों को ऐसा छोड़
देते हैं। वह इन्हें घर पर बांध कर रखेंगे। इसके अलावा खेतों में जलाई
जाने वाली धान की पराली से भी मुक्ति मिलेगी। किसान पराली जलाने की जगह उसे
जुटा कर रखेंगे। यह दोनों ही चीजें किसानों को मालामाल करेंगी।
इन सबसे मिलेगी मुक्ति
यदि
यह सब कुछ सफल रहा तो सरकार की मंशा पूरी हो जाएगी। सरकार भी कुछ ऐसा ही
चाह रही है, यही वजह है कि इस प्रोजेक्ट को भी बढ़ावा देने में जुटी हुई
है। गोबर और पैरा से सीएनजी तैयार करने से तिगुना फायदा होगा। सरकार को
सीएनजी मिलेगी। ऐरा प्रथा और खेत में जलने वाली पराली से भी मुक्ति मिल
जाएगी। पैरा और गोबर से यहां जैसे ही सीएनजी तैयार होनी शुरू होगी। रीवा के
हालात भी छत्तीसगढ़ जैसे हो जाएंगे। यहां उद्योग और उद्यमी भी किसानों से
गोबर और खेतों से पैरा खरीदेंगे। ऐसे में कोई भी मवेशियों को ऐरा छोडऩे के
लिए तैयार नहीं होगा। छत्तीसगढ़ में भी सरकार ऐरा प्रथा को रोकने के लिए
किसानों से गोबर खरीदने लगी है।